ठीक ऐसा ही कलयुग में भी होगा जब भगवान कल्कि अधर्मियो का नाश करने के लिए आयेंगे ।
और ऐसे में कहा जाता है कि भगवान विष्णु के 10वे अवतार भगवान कल्कि के आने के 4 जिंदा सबूत प्रथ्वी पर पहले से मौजूद है ।
लेकिन कहां है ये सबूत और क्या है इसका राज आईए जानते है ।
धर्म शास्त्रों के अनुसार महाभारत काल के बाद जब श्री कृष्ण ने अपना देह त्याग किया । तो उनके सुदर्शन चक्र ने खुद को प्रथ्वी के अंदर समाहित कर लिया था।
क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु के कल्कि अवतार जब कलयुग में आयेंगे तो यही सुदर्शन चक्र धरती चीर कर वापस निकलेगा ।
और भगवान कल्कि उसे धारण कर लेंगे । सोचने वाली बात है कि आखिर वह सुदर्शन चक्र से युद्ध कैसे करेंगे।
उनकी क्या योजना होगी, ये सभी चीजे उन्हे कोई और नहीं बल्कि भगवान परशुराम ही सिखाएंगे ।
जो कि आज भी जीवित है और उनकी प्रतीक्षा कर रहे है । सिर्फ सुदर्शन चक्र ही नही ।
कुंती पुत्र कर्ण का अमोघ कवच और कुंडल भी उनके इस युद्ध में उनकी सुरक्षा करेगा।
बताया जाता है कि महाभारत काल के बाद आज भी समुद्र देव और सूर्य देव इस कवच और कुंडल की सुरक्षा पुरी के कोणार्क में सदियों से कर रहे है ।
और तो और दोस्तो कली पुरुष के खिलाफ होने वाले इस युद्ध में भगवान कल्कि का सबसे बड़ा हथियार ब्रह्म पदार्थ साबित होगा ।
जी हां वही ब्रह्म पदार्थ जिसके बारे में कहा जाता है कि वह भगवान श्रीकृष्ण का दिल है ।
जो आज भी भगवान जगन्नाथ के विग्रह में धड़कता है ।
धर्म विद्वानों की माने तो ब्रह्म पदार्थ में असीमित शक्तियां है और कलयुग में इसी ब्रह्म पदार्थ की मदद से कल्कि अवतार कली पुरुष को पराजित करेंगे।
इसके अलावा भगवान कल्कि के होने वाले परिवार के बारे में बात की जाए तो इसके विषय में हमे भागवत पुराण के स्कंद 12 के अध्याय 2 में साफ साफ एक कथा के माध्यम से देखने को मिलता है।
कहानी के मुताबिक यूपी के संभल गांव में भगवान कल्कि का जन्म होगा । और वे अपने माता पिता के 5 वे संतान होंगे ।
जो समय आने पर देवदत्त नाम के घोड़े पर बैठकर आयेंगे और तलवार से पापियों का नाश करेंगे ।
जिसके बाद सतयुग का प्रारंभ होगा। कथा में ये भी बताया गया है कि भगवान कल्कि की दो पत्नियां होंगी।
लक्ष्मी रूपी पदमा और वैष्णवी रूपी रमा। भगवान कल्कि की पत्नी वैष्णवी के बारे में बताया जाता है कि उन्होंने त्रेता युग में ही
जन्म ले लिया था।
दरअसल त्रेतायुग में दक्षिण भारत में रत्नाकर नाम के एक राजा हुआ करते थे । वो माता रानी के बहुत बड़े भक्त थे ।
परंतु वह संतानहीन थे । एक दिन माता भगवती, मां सरस्वती, और मां काली तीनों राजा की भक्ति से प्रसन्न होकर उनके स्वप्न में आई।
और अपने तेज का एक एक अंश उनकी पत्नी के गर्भ में अपने आशीर्वाद के रूप में दिया ।
इसके साथ ही उन्होंने रत्नाकर के सपने में आकर यह भी बताया कि उनके घर में दिव्य बालिका जन्म लेने वाली है ।
जिसको कलयुग में लोग पूजेंगे और वो भविष्य में एक खास किरदार निभाएंगी ।
आगे चलकर भक्त रत्नाकर के घर में एक बच्ची की किलकारी गूंजी । जिसका नाम त्रिकुटा रखा गया मित्रो त्रिकुटा के अंदर ऐसा ज्ञान पाने की इच्छा थी ।
इसीलिए उसने ईश्वर की भक्ति में लीन होकर । घर परिवार सब कुछ त्याग कर, ज्ञान की प्राप्ति के लिए निकल गई ।
ऐसे में एक दिन जब प्रभु श्रीराम जंगलों में माता सीता की खोज कर रहे थे, तब उनकी मुलाकात त्रिकुटा से हुई ।
त्रिकुटा ने पहली नजर में भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्रीराम का आभास कर लिया और उनके चरणों में नतमस्तक होकर फूल चढ़ाए ।
भगवान राम ने त्रिकुटा की तपस्या से प्रसन्न होकर उसको वैष्णवी नाम दिया । परंतु जब त्रिकुटा ने प्रभु राम को उनके अंदर समहित होने की प्रार्थन की तब प्रभु ने उनको कहा कि एक दिन मैं तुम्हारे पास आऊंगा और तुम अगर मुझे पहचान गई तो मैं तुम्हारी सारी इच्छाएं पूर्ण करूंगा ।
यह कहकर प्रभु श्रीराम वहा से चले गए । दोस्तो समय बीतता गया और त्रिकुटा श्रीराम के इंतजार में आस लगाए बैठी हुई थीं ।
कि तभी एक दिन त्रिकुटा के द्वार पर एक बूढ़ा व्यक्ति आया और उसने त्रिकुटा से शादी का प्रस्ताव रखा। जिसके जवाब में त्रिकुटा ने उस बूढ़े आदमी को यह कहकर मना कर दिया कि वो प्रभु राम की पहले से ही हो चुकी है ।
और वो किसी भी वक्त उन्हें लेने आ सकते है हालांकि बाद में त्रिकुटा को अपनी गलती का अहसास हुआ लेकिन तब तक काफी देरी हो चुकी थीं ।
क्योंकि वो बूढ़ा आदमी कोई और नहीं बल्कि प्रभु श्रीराम ही थे । त्रिकुटा ने प्रभु श्रीराम से अपनी गलती की काफी मांगी तब भी श्रीराम ने उससे कहा कि अभी तुम्हारी इच्छा पूरी करने का यह सही समय नही है ।
इस युग में तो नही लेकिन कलयुग में आप मेरी अर्धांगनी बनेगी।
अगर वह उत्तर भारत के त्रिकुट पर्वत पर जाकर तप करेंगी ।
तब कलयुग में, मैं आपको कल्कि अवतार के रूप में अपना बनाऊंगा ।
इसी दिन के बाद माता ने त्रिकुटा पर्वत पर जाकर घोर तपस्या की और शरीर का त्याग करके टीन मुंह वाली पिंडी के रूप में समा गई।
मान्यता है कि भगवान विष्णु के 10वे अवतार कल्कि के रूप में कली पुरुष के विनाश के लिए उनका जन्म होगा । तब वह देवी वैष्णवी से विवाह करेंगे ।
वही भगवान कल्कि के 4 पुत्र भी होंगे जिनका नाम जय विजय, मेघवाल और बलाहक होगा ।
दोस्तो आपको ये जानकारी कैसे लगी हमे कमेंट में जरूर बताएं और इस जानकारी को शेयर जरुर करे ।
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