क्या दुर्योधन ही कली का अवतार लेंगे ?


महाभारत विश्व का एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसमे संसार वह सब कुछ है और विश्व में ऐसा कुछ भी नही जो इसमें नही है ।

इस किताब में ऐसे ऐसे किरदार है जिनमे हम अपना साया देख सकते है ।

महाभारत युद्ध एक ऐसा भीषण युद्ध था जो मानव इतिहास में फिर कभी नही देखा गया। 

ये युद्ध केवल 18 दिनों तक चला लेकिन उस समय पुरुषो की लगभग 80% आबादी खत्म हो गई। 





इस युद्ध में पांडवो की जीत हुई और कौरवों की हार हुई ।

 हालाकि इस युद्ध का परिणाम भीष्म पितामह ऋषि वेदव्यास सहदेव द्रोणाचार्य कृपाचार्य और संजय सहित भगवान श्रीकृष्ण को पहले से ही पता था। 

कहते है अधर्म पर धर्म की स्थापना के लिए महाभारत का युद्ध लड़ा गया था। 

लेकिन इसकी सच्चाई सिर्फ इतनी ही नही है धृतराष्ट्र को महाभारत के क्षेत्र का सबसे बड़ा खलनायक माना जाता है ।

क्योंकि वे चाहते तो इस युद्ध को रोक सकते थे लेकिन उन्होंने पुत्र मोह में अपने ही वंश का नाश करवा दिया। 

युद्ध में लड़ते हुए धृतराष्ट्र के सभी पुत्र वीरगति को प्राप्त हुए और वह इस शोक को सह नहीं पाए ।

युद्ध खत्म होने के बाद धृतराष्ट्र सदमे में चले गए थे क्योंकि इने सभी पुत्र युद्ध में मारे गए थे ।

युद्ध समाप्ति के बाद एक दिन देवव्यास जी उनके पास आते है और उनको समझते हुए कहते है कि धृतराष्ट्र तुम इतने दुखी क्यों हो विधि के विधान को कोई नही टाल सकता है ।

जो हुआ वो सब पहले से ही निश्चित था इसलिए इसमें इतना दुखी होने की बात नही है। 

इससे जुड़ी मैं तुम्हे एक घटना बताता हूं जो पहले से ही सब तय किया हुआ था। 

एक दिन मैं स्वर्ग की सभा में गया तब वहा ब्रम्हांड के सभी देवी देवता उपस्थित थे। 

उसी समय देवी धरती भी वहा आती है और सभी देवताओं से कहती है कि आप सभी ने ब्रह्म सभा में प्रतिज्ञा ली थी कि जब भी पाप और अधर्म के कारण मेरा भार बढ़ने लगेगा ।

तो आप सभी मिलकर मेरी रक्षा करेंगे । आज इस प्रथ्वी लोक में पाप और अधर्म इतना बढ़ गया है कि मैं उसका भार सहन नही कर पा रही हूं ।

इसलिए कृपया आप सभी लोग मेरी मदद करे धरती माता की बात सुनकर भगवान विष्णु कहते है ।

तुम चिंता मत करो बहुत जल्द गंधार सम्राट की बेटी गांधारी के 100 बेटे होंगे इनमें से सबसे बड़ा 
पुत्र दुर्योधन कली राक्षस का अंश होगा। 

तथा उसके 99 भाई पुलसत्य वंश के राक्षस के अंश होंगे ।

वायु पुराण में राक्षसों को पुलह: पुलस्त्य कश्यप एवं अगस्त्य ऋषि की संतान माना गया है। 

दुर्योधन हस्तिनापुर के महाराज धृतराष्ट्र और गांधारी के 100 पुत्रो में सबसे बड़ा पुत्र होगा ।

वेदव्यास के वरदान से ही गांधारी के 100 पुत्रो का जन्म हुआ था ।

दुर्योधन के असंख्य कुक्रत्य के कारण अंततःगत्व कौरव और पांडवो में युद्ध प्रारंभ हुआ ।

इसमें कई बड़े राजा अस्त्र शस्त्र के साथ एक दूसरे से युद्ध करेंगे जिसमे लाखो लोग मारे जायेंगे ।

इस युद्ध के बाद फिर से धर्म की स्थापना होगी और इस प्रकार आपका बोझ भी कम हो जायेगा। 

दुर्योधन गदा युद्ध में पारंगत था और श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का प्रिय शिष्य था । 

गांधारी द्वारा देंखे जाने से उसका शरीर वज्र के समान हो गया था लेकिन भगवान कृष्ण के छल के कारण उसके गुप्तांग का स्थान वज्र के समान नही हो पाया ।

जिसके चलते महाभारत युद्ध में भीम ने दुर्योधन की जांघ तोड़ दी और इस तरह दुर्योधन मारा गया। 

वेदव्यास जी धृतराष्ट्र को समझते हुए कहते है कि दुर्योधन और तुम्हारे सभी पुत्रो का मरना पहले से ही तय था। 

इसलिए तुम्हे इस बात से ज्यादा दुखी नहीं होना चाहिए । महर्षि वेदव्यास द्वारा लिखित हरिवंश पुराण और श्रीमद् भागवत पुराण भविष्य पुराण और गीता प्रेस गोरखपुर की जय काव्य या महाभारत ग्रंथ में स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है। 

कि कलयुग देवता ने ही महाभारत के पात्र दुर्योधन के रूप में जन्म लिया था 100 घड़ों में से पहले घड़े से दुर्योधन का जन्म हुआ ।

जब दुर्योधन का जन्म हुआ तो वह रोने के बजाए गधे की तरह रेकने लगा । और पैदा होते ही बोलने लगा दुर्योधन के पैदा होते ही कई अपशकुन देखने को भी मिले ।

जैसे सियार जोर जोर से रोने लगा , उल्लू शोर मचाने लगा, और अचानक आसमान में काले बादल छा गए, इन घटनाओं को देखकर विदुर ने कहा ।

कि यह अपशकुन बता रहा है कि यह पुत्र हस्तिनापुर के विनाश का कारण बनेगा । इसे छोड़ देने में ही भलाई है ।

लेकिन पुत्र मोह में धृतराष्ट्र और गांधारी ने ऐसा करने से इंकार कर दिया । 

दुर्योधन को कलियुग का अवतार माना जाता है जो कलयुग के मनुष्य में होने चाहिए ।

इसीलिए दुर्योधन को कलयुग का अवतार भी कहा जाता है ।

हिंदू परंपरा के अनुसार वर्तमान युग कलयुग है कली का अर्थ है क्रोध, पीड़ा, दुख चोट और भ्रमित ।

हिंदू धर्म ग्रंथो में यह कहा गया है कि कलियुग में 5 स्थान है जहां राक्षस कली का निवास है ।

वह स्थान है हिंसा, शराब महिलाओं के खिलाफ हिंसा, सोना यानि लालच और जुआ ।

अब सोचने वाली बात यह है कि राक्षस कली का एक अंश इतने बड़े युद्ध का कारण बना ।

जबकि वर्तमान के इस कलीयुग में दुर्योधन वाले कई गुण आम इंसानों में मौजूद है ।

कहते है कली पुरुष अभी भौतिक रूप में नही आया है लेकिन वो अपनी शक्तियों से इंसान पर काबू पा सकता है ।

और कलयुग के अंत में वो भौतिक रूप में भी आ जायेगा । तब वो पाताल लोक से आसुरी शक्ति को आजाद करके इंसानों पे राज करेगा ।

इसके बाद भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा जो 64 गुणों से लिप्त महायोद्धा होंगे ।

जो अब तक के सबसे शक्तिशाली राक्षस कली पुरुष से लड़ेंगे और इंसानों को उसके प्रभाव से मुक्त करेंगे ।

लेकिन इस युद्ध में कली पुरुष की तरफ से भी इंसान ही लड़ेंगे । क्योंकि तब तक धर्म पूरी तरह से नष्ट हो जायेगा इंसान भगवान को भी पहचान नहीं पाएंगे ।

लेकिन अंत में सब ठीक हो जायेगा और सतयुग का प्रारंभ होगा । 

कल्कि पुराण के अनुसार चिरंजीवी भगवान परशुराम जी भगवान कल्कि को असुर का वध करने के लिए अस्त्र शस्त्र की शिक्षा देंगे ।

और ऐसा इसलिए कि भगवान परशुराम से बड़ा अस्त्र शस्त्र का ज्ञाता दुनिया में कोई नही हुआ है ।

परशुराम के कहने पर भगवान कल्कि शिव जी की तपस्या करेंगे और दिव्य शक्तियां भी प्राप्त करेंगे। 

अग्नि पुराण के 16वें अध्याय में कल्कि अवतार को धनुष बाण लिए घोड़े पर सवार के रूप में दर्शाया गया है ।

और भविष्य में भी ऐसा ही होगा कल्कि पुराण के अनुसार वे हाथ में सफेद तलवार लेकर घोड़े पर सवार होकर ।

युद्ध और विजय के लिए निकलेंगे  और प्रथ्वी से सभी म्लेच्छ लोगो को खत्म करके । 

सनातन धर्म की स्थापना करेंगे । वे लोगो के दिलो में ईश्वर के प्रति भक्ति भाव जगाएंगे ।

और लोग भी उनकी बात मानकर धार्मिकता के मार्ग पर शुद्धता के युग का पालन शुरू कर देंगे।

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