महापुरुष अच्युतानंद जी ने भविष्य मालिका की रचना का उद्देश्य कलयुग में धर्मसंस्थापना के समय भक्तों को भगवान की लीला अवतरण के बारे में बताना और साथ में भविष्य मलिका सभी भक्तों के एकत्रीकरण का माध्यम बनेगी, जिसे सुनकर सभी भक्तों की चेतना जाग्रत होगी और उनका भगवान से मिलान होगा,भविष्य मलिका १८५००० ग्रंथों का संग्रह है और हर जगह भगवान की जन्म स्थली ओडिशा में संबल ग्राम को ही बताया गया है,मलिका के माध्यम से १६ मंडल का गठन होगा, भगवान कल्कि सुधर्मा महा महासंघ के माध्यम से सम्पूर्ण विश्व पर शासन करेंगे और पूरे विश्व में एक ही शासन होगा तथा एक ही धर्म होगा सनातन धर्म,सुधर्मा महा महासंघ के माध्यम से भक्तों का एकत्रीकरण होगा,इस संगठन में केवल भक्त ही जुड़ पायेंगे और जो भक्त नही है ऐसे लोग इसमें कभी भी नहीं जुड़ेंगे, भविष्य मालिका की वाणी सिर्फ भक्तों के लिए है यह अधर्म का पालन करने वालों के लिए नहीं है,मलिका की शरण ग्रहण करने वाले भक्तों को भगवान की शरण प्राप्त होगी और ऐसे भक्तों को ही सुधर्मा महा महासंघ की पहचान हो पायेगी,और वे भाग्यशाली भक्त कल्कि भगवान की लीला को प्रत्यक्ष रूप से देख पायेंगे।
Comments
Post a Comment